Saturday 18 June 2016

HONOUR KILLING: CUTTING YOUR OWN ROOTS.

                ऑनर किलिंग- समाज की झूठी इज़्ज़

ऑनर किलिंग.. यानि इज़्जत – मान-सम्मान के लिए अपनों को ही मार डालना.. आज भी अखबारों में ऑनर किलिंग की घटनाएं आती है। हमारे समाज में अभी भी ऐसे व्यक्तियों की कमी नहीं है जिनकी सोच बहुत ही सीमित और तुच्छ है..यही कारण है की हमारा समाज अभी भी ऑनर किलिंग जैसे अभिशाप से ग्रसित है!!


ऑनर किलिंग के ज़्यादातर मामले हरियाणा के होते हैं। खाप पंचायत की नज़र में किसी से प्रेम करना गुनाह है.. खाप पंचायत प्रेमी जोड़े को मार डालते हैं क्योकि ये खाप के उसूलों के खिलाफ है!!  क्यों लोग झूठी मान प्रतिष्ठा के नाम पर अपनों का ऱक्त बहाने को आतुर हो जाते हैं..?? क्यों ये झूठा समाज मां-बाप को हत्यारा बना देता है?? हर समाज के अपने तौर-तरीके, कायदे-कानून होते हैं.. मरने वालों की गलती बस इतनी होती है कि मरने वाले लड़का-लड़की एक दूसरे से प्रेम करते है और अलग गोत्र से होते हैं.. और अलग गोत्र में शादी करना समाज के कानून में पाप होता है..!! समाज क्या कहेगा इसी भावना ने मां-बाप को हत़्यारा बना दिया!! क्या यही होता है समाज का मतलब..???

समाज तो मानव विकास के लिए होता है! जिसमें वह विकसित होता है.. तो कौनसा समाज चाहेगा कि हम हत्यारे बनें??पर फिर भी ऐसा हो रहा है..! आज सुबह ख़बर पढ़ी जिसमें 7 माह की गर्भवती महिला को उसके घरवालों ने इसलिए गला रेत कर मार डाला क्योंकि उसने खुद की मर्जी से शादी की थी। मां ने बेटी को प्यार से घर बुलाया..अपने पैरंट्स के घर पहुंचीं तो उसके पिता, मां और भाई ने मिलकर चाकू से उकी गर्दन काट दी। कितने निर्दयी हैं वो मां-बाप जिनके हाथ नहीं कांपते अपनों का खून बहाने में !!

हमारे समाज को ज़रुरत है इस अपराध के खिलाफ एक सख्त से सख्त क़ानून की.. जो कि ऐसा घिनौना अपराध करने वालो को कठोर से कठोर सज़ा दिला सके!! जिससे की हर वो व्यक्ति जो कि इस तुच्छ मानसिकता से ग्रस्त है ऐसा घिनौना अपराध करने से डरे…. इस मानसिकता को खत्म करने का एक ही रास्ता है रुढ़िवादी सोच से खुद को बाहर निकालना और वक्त़ के साथ समाज को भी परिवर्तित करना..!!.


Monday 13 June 2016

FROM MY EYES: SUICIDE: A SELF-MURDER.

SUICIDE: A SELF-MURDER.



सुसाइड ... यानी आत्महत्या ..आए दिन अखबारों में लोगों के सुसाइड की खबर श़रीक रहती है ... लोगों में ये एक नया ट्रेंड चल पड़ा है .. मनचाहा प्यार न मिले तो आत्महत्या ‌.. नौकरी नहीं मिली तो आत्महत्या. .. गृह कलह हो तो अतामहत्या। क्या सिर्फ खुद को खत्म कर देना ही एक मात्र उपाय मौजूद है... क्यों लोग अपने मन की इच्छाओं को इतना बढा़वा देते हैं की पूरी ना होने पर इतने आघात हो जातें हैं की आत्महत्या जैसा अपराध कर बैठते हैं ... क्या यही सोचकर उनकी जिंदगी के पन्ने हमेशा के लिए दफ्ऩ हो जाते है की अगर उनकी इच्छापूर्ति ना हुई तो जीने का कोई मतलब ही नहीं बचता!!!

आजकल सुसाइड ट्रेंड बन चुका है ... ज्यादातर सुसाइड के मामले युवाओं और बच्चों में देखने को मिल रहें है.... आजकल की युवा पीढ़ी इतनी नाज़ुक तो नहीं की सुसाइड जैसे काम करने लगे ? ....इसकी यही वजह हो सकती है लोगो में बढ़ती जलन, लालच, इर्ष्या जैसी भावनाएं ... और यही भावनाएं कही ना कही डिप्रेशन जैसी बीमारी को बढ़ावा देने में मदद करती है ... आज का इंसान शांत नहीं है .. जितना है उतने में खुश नहीं है ... चीजों को सुलझाने से पहले हार मान जाना..क्या यही वजह बनती है आत्महत्या करना ...

रोज़मर्रा अखबारों में आप सभी पढ़ते होंगे सुसाइड की ख़बरें ... मरने वालो की एक वजह बन जाती है पुरे परिवार के लिए सज़ा....बात करें बोर्ड परीक्षा में फेल होने के डर से 10वीं के छात्र की खुदखुशी की .. टीवी एक्ट्रेस प्रत्युषा की या प्यार में धोखा खाए एक आम आदमी की ....
खुदखुशी एक ऐसा शब्द जिसको करने वाला भी ख़ुशी से नहीं करता, तो कहा की खुद-ख़ुशी... खुदखुशी करने वाले की मानसिकता उस समय क्या रही होगी वो  तो उसके साथ ही दफ्न हो जाती है ... पीछे छूट जाता है तो उसका मातम मनाता हुआ परिवार ....
खुदखुशी करने से लोग खुद को तो ख़त्म कर ही देते है साथ में ख़त्म करते है अपना मान सम्मान, अपना परिवार... आजकल की लाइफ में लोगो में EXPECTATIONS LEVEL इतना बढ़ चुका है की उनको उसके आगे और कुछ नहीं दीखता... इच्छाएं पूरी न होने पर वो डिप्रेशन में पहुंच जाते है .... मरना सबको होता है मौत तो आनी ही है आज नहीं तो कल ... खुदखुशी करने से कुछ ठीक नहीं होने वाला बल्कि सब तुम्हें कायर ही कहेगें.... ं


ये मेरी व्यक्तिगत राय है कि, हो  सकता  है  तुम्हारी  इच्छाएं  पूरी  ना हुई  हों ?  तो  खुद  को  क्यों  ख़तम  करते  हो  अपनी  इच्छाओं  को  ख़तम  करो. हो  सकता  है  तुम्हारी  expectations पूरी  ना  हुई  हों , और  तुम  frustrated feel कर  रहे  हो . जब  इंसान  frustration में  होता  है  तो  वो  destroy करना  चाहता  है . और  तब केवल  दो संभावनाएं  होती  हैं —या  तो  किसी  और  को  मारो  या  खुद  को . किसी  और  को  मारना  खतरनाक  है  , इसलिए  लोग  खुद  को  मारने का  सोचने  लगते  हैं . लेकिन  ये  भी  तो  एक  murder है !!  तो  क्यों  ना  ज़िन्दगी को  ख़तम  करने  की  बजाये  उसे  बदल  दें !!! क्यों ना अपने परिवार वालों से अपनी परेशानीयों के बारे में बात करें और  सम्सया का सामाधान निकालें.. गलतियां इंसान से ही होती है.. ज़रुरत हे तो उन गलतियों से कुछ सीखने की... 




Wednesday 8 June 2016

GENDER INEQUALITY......CHANGE YOUR MENTALITY.. ...

बेटियां पापा की "परी.".. मम्मी की "गुड़िया.."
बड़ी हो जाये तो पापा की "चिंता ."
मम्मी का "हेल्पिंग हैण्ड .... "
आज कहने को तो औरत मर्द बराबर है...
पर क्या लोगो की सोच में भी औरत मर्द बराबर हैं .......

सारा दिन औरत काम करे.. नाम हो आदमी का
औरत को क्या मिला कुछ  भी नहीं ....
मर्दों से ऊंचा बोले तो "बदतमीज़ "
चुप रहे तो.. " सर्व गुण समपर्ण"....
मर्दों का कहना माने तो .. "आदर्शवादी"
ना माने तो ... "उग्रवादी"...
एक दिन खाना ना बनाये तो .."आलसी"..
रोज़ बनाये तो .. "अन्पूर्ना"
आदमी से आगे कदम बढाये ... तो वो .. "चालाक"
दब के रहे तो... "संस्कारी"
मर्द शराब पिए तो वो उसके ..." मज़े "
अगर औरत पीये तो वो ... "बदचलन "
मर्द का हर फैसला माने तो.. " अच्छी"
ना माने तो .... "अकल की कच्ची"
मर्द घर में लेट आए तो.. its ok .. चलता है..
औरत अगर 8 भी बजाये तो .. "खलता है"
अगर आवाज़ उठाओ तो .. "बदजुबान"
चुप रहो तो .."सहनशक्ति" की देवी...
अगर पूछो की ऐसा भेदभाव क्यों...
तो एक ही जवाब मिलता है .. "की औरत ज़ात है तू "


मर्द और औरत कहने को तो है एक सामान ... पर जो बदलेगा अपनी सोच वही है असली इंसान



"Soch badlo ... rishte badlo... Respect women